Search This Blog

लाॅक डाउन सब के लिए एक समान तो नही

     कई लोग  रोज कुछ न कुछ                                              नए नए पकवान बनाकर  खा रहे हैं                                    कई लोग एक वक्त की                                                    रोटी खाए बगैर भूखे सोए जा रहे हैं    
     पेट भर कर घर में जो खुश है
     वो गहर प्यारी निंद के जाल में सो रहे हैं
     जो पेट नहीं भर पा रहे है
     वो नींद को ओढ़कर भुख टाल रो रहे हैं
   लॉक डाउन सब के लिए एक समान तो नहीं
   व्यंजन बनाना सीखना कहीं तो भूख से दर्द कही


   कहीं लोग परीवार के साथ खुशीसे
   समय हसते खेलते बिता रहें हैं
   कहीं लोग परीवार से कोसो दूर
   बस उनसे मिलने की चिंता करे है
   घरो में जो है परिवार के साथ में
   छूटियो जैसा मस्त आनंद उठा रहे है
    परिवार से दूर जो अटके पड़े है
   कोरोनासे लड़ने अपनी ज़िन्दगी लुटा रहे है
   लॉक डाउन सब के लिए एक समान तो नहीं
   परिवार संग कहीं कोई तो कोसों दूर परिवार से कोई कही


  कही लोग   Facebook comment खेल रहे है
  कही लोग कोरोना की मार झेल रहे है
  कही लोग Challenge accepted बोल रहे है
  कही लोग मुट्ठी में ज़िंदगी को तोल रहे है
  कही लोग Dalgona coffee बनाए जा रहे है
  कही लोग मरने के डर मे सताए जा रहे है
  लॉक डाउन सब के लिए एक समान तो नहीं
  Challenge की प्यारी मज़ा कही तो जीने की कठोर सज़ा कही 

6 comments:

  1. कही लोग दिन रात सोते जा रहे हे।
    तो काही ब्लॉग लिखते जा रहे हे।।

    वो सोचते हे ब्लॉग उन्हे क्यो नही सुझता?
    आसन हे दोस्त क्योकी दिल सबका नही तूटता।।

    पर लेखणे के लिये दोस्त दिल तुडवा मत लेना।।
    हो सके तो कभी हमे भी याद कर लेना।।

    तुम्हारी लिखावते वो हम लिखवा देंगे।।
    हमारे दिल के राझ तो छुडा लेंगे।।

    ReplyDelete
  2. Formulate an understanding of what the poem means to you.

    bhushan.D

    ReplyDelete