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हिंसक कोरोना और हतबल इंसान

बड़ा गुरूर था इंसानो को परमाणु बम पर
सब विफल कर दिया एक वायरस ने ,
बड़ी तेज दौड़ती थी जिंदगी इंसानो की
रुक सी गयी है एक कोरोना जहर से ॥१॥

बदल रहा था इंसान सबकुछ अपने दम पर
सहम सा गया है आज जिने के डर मे
बिना रुके तरक्की कर जहां बदल रहा था इंसान
इंसान ही बदल गया है एक कोरोना प्रहार से ॥२॥

जा पहुँचा था दूर कही मंगल पर
कैद हो उठा है शांति से घर मे ,
इंसान को हो गया एहसास अपनी
लाचारी का आज एक कोरोना कहर से ॥३॥


कर के अविष्कार मजबूर कर रहा था सोचने पर
बस जुटा था सफलता की और बडी गौर से ,
दुसरो को खूब हैरान करने वाला इंसान
आज हैरान हो गया एक कोरोना संहार से ॥४॥


             
                                                         Kavi सत्यमा

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